लहसुन मंडी के साढ़े दस बजे तक नहीं खोले गेट ट्रैक्टरों की लगी लाइनें
कुलदिप सिंह सिरोहिया बारां छीपाबड़ौद उपखंड एवं तहसील कार्यालय के सटीक संचालित राजस्थान की प्रथम एवं विशिष्ट पहचान रखने वाली लहसुन मंडी में व्यवस्था सही ढंग से नहीं हो पा रही हैं संचालित जी हां आपको बता दें की छीपाबड़ौद की लहसुन मंडी में एक सप्ताह में दो बार रविवार ओर मंगलवार की छुट्टी होने के कारण बाहर से लहसुन बेचने आने वाले किसानों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।जी हां इतना ही नहीं छीपाबड़ौद की लहसुन मंडी में रविवार की सरकारी छुट्टी होने के बाद मंगलवार को मनमर्जियों की छुट्टी मनाई जाती है जब से यह मंडी बनी तबसे मंगलवार की छुट्टियां कुछ व्यापारियों की मर्जी से की जाती है जिसके कारण दूर दराज क्षेत्रों से आने वाले किसानों को भी कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है इतना ही नहीं इस मंडी में सीजन के समय पर लाखों किसानों की तादाद में यहां पर लोगों का जनसैलाब उमड़ता है साथ ही यहां पर किसानों को पेट भर के खाना खाने के लिए इंदिरा रसोई की व्यवस्थाएं भी नहीं हैं जबकि सरकार द्वारा बड़े-बड़े होर्डिंग बैनर लगाकर प्रचार प्रसार कर इंदिरा रसोई की वाही वाही लूटी जा रही है लेकिन जहां पर इसकी आवश्यकता है जहां पर इसकी जरूरत है ऐसी जगह पर इंदिरा रसोई के नाम पर शून्य हैं साथ ही लहसुन मंडी के गेट मंगलवार को समय पर नहीं खुलने के कारण लहसुन मंडी के गेट से लेकर सालपुरा रोड पर पेट्रोल पंप से आगे लहसुन मंडी के गेट से लेकर छीपाबड़ौद मार्ग पर और छबड़ा मार्ग पर दोनों साइडों पर लंबा जाम लग चुका था लेकिन जाम को देखकर भी मंडी प्रशासन के कानों तक जूं नहीं रेंगी हमारे सवांददाता द्वारा मंडी कर्मचारी सीताराम नागर से बात करने पर यह करके टाल दिया कि अभी होमगार्ड जवानों आने के बाद गेट को खोला जाएगा जबकि किसान सुबह 4:00 5:00 बजे से ट्रैक्टरों को लेकर मंडी गेट पर पहुंच चुके थे और धीरे-धीरे लंबा जाम लगना शुरू हो गया इतना ही नहीं आने जाने वाले दो पहिया एवं चौपहिया वाहनों समेत पैदल चलने वाले रहागीरों को भी जाम फंसने के दौरान भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा 10:30 बजे मंडी का गेट खोला उसके बाद जाम के हालतों से राहगीरों और वाहन चालकों ने निजात पाई है गौरतलब है कि आए दिन छिपाबड़ोद लहसुन मंडी में अव्यवस्थाओं के कारण कई प्रकार की समस्याएं यहां के किसानों को झेलना पड़ रही है लेकिन इसके बावजूद भी मंडी प्रशासन और संबंधित विभागीय अधिकारियों द्वारा इस और किसी भी प्रकार का ध्यान नहीं जा रहा है।