मैजिक वाहन में जानवरों की तरह ठूसे जा रहे स्कूली बच्चे स्कूल और प्रशासन नहीं ले रहा हादसे से सबक
लटेरी/विदिशा //लटेरी। विदिशा के लटेरी में बच्चों की जान जोखिम में है मैजिक वाहनो में बच्चों को ठूँस ठूँस कर भरा जा रहा है निजी स्कूल प्रबंधन प्रशासन के नियमों की धज्जियां सरेआम उड़ा रहा है। यहां लिटिल हैवन स्कूल के सवारी वाहन में 20 से अधिक बच्चों को ठूस ठूस कर भरकर स्कूल से घरों तक भेजा रहा है।
विदिशा के लटेरी में निजी स्कूलों के संचालकों की मनमानी चरम पर है जहां अभिभावकों के साथ विद्यार्थियों का भी शोषण करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। स्कूलो में बच्चों को आने जाने के लिए स्कूल प्रबंधन द्वारा वाहनों की व्यवस्था भी की गई, जिसमे शिक्षण शुल्क के अलावा वाहनों का शुल्क मनमाने तरीके से लिया जा रहा है जिसका कोई निश्चित मापदंड ही नहीं है।
- निजी स्कूलों में शिक्षा विभाग के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है ऐसा ही एक बड़ा मामला लटेरी के निजी विद्यालय का सामने आया है। स्कूल संचालक द्वारा बच्चों को स्कूल वाहनों की बजाय निजी वाहनों में ठूस ठूस कर ले जाया जा रहा है। स्कूल संचालक की मनमानी के आगे शिक्षा विभाग भी नत मस्तक है। जिम्मेदार कुम्भकर्णी नींद से जागने का नाम नहीं ले रहे हैं ऐसे में भविष्य में कोई बड़ा हादसा होता है तो जिम्मेदारी किसकी होगी।
- लटेरी के प्रायवेट स्कूल संचालक की नजर में नौनिहालों की जान की कीमत कुछ भी नहीं है लटेरी का लिटिल हैवन कॉन्वेंट स्कूल कक्षा एक से आठ तक संचालित होता है। इस स्कूल के मैजिक वाहन में लगभग 20 से अधिक बच्चों को ठूस-ठूस कर बैठाने का मामला सामने आया है। क्षमता से अधिक बच्चे बैठाने का एक वीडियो मीडिया को उपलब्ध कराया है वीडियो लटेरी के आनंदपुर रोड़ का बताया जा रहा है इस मैजिक वाहन में बच्चों के साथ ऊपर केविन में गैस की टंकी के साथ बच्चों के बिस्ता (बेग) के साथ रखी हुई थी।
स्कूल संचालक द्वारा शिक्षा विभाग एवं यातायात विभाग के नियमों को ताक में रखकर मनमानी की जा रही है। स्कूल वाहन में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाने पर न तो अभिभावक ध्यान दे रहे हैं और न ही शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी। ऐसे में रोजाना बच्चे अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं स्कूली बसों समेत अन्य वाहनों का रंग पीला तो जरूर होता है लेकिन उन पर स्कूल का पूरा नाम और संचालक का मोबाइल नंबर तक नहीं है। परिवहन विभाग की बड़ी लापरवाही के बाद स्कूली वाहनों में आने-जाने वाले बच्चे किस हालात में अपने घर और स्कूल को जाते हैं इस बात की जानकारी अभिभावकों को भी नहीं रहती है। जिसका फायदा स्कूल वाले उठाते हैं और बच्चों को वाहनों में ठूस ठूस कर भरते हैं।
इनका कहना है।
अभी नया सत्र प्रारंभ हुआ है लगातार सभी स्कूल वाहनों की जांच करेंगे ब्लॉक शिक्षा अधिकारी से चर्चा कर सुप्रीमकोर्ट की गाईड लाईन के अनुसार ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के साथ ये सुनिश्चित कर्ज की इसका सही से पालन किया जाए।
अजय मिश्रा, एसडीओपी लटेरी