घरेलू हिंसा, विधिक सेवाएं तथा एसिड अटैक से पीड़ितों को प्राप्त विधिक सहायता के सम्बंध में
माननीय उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ एवं माननीय जिला जज/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण-बांदा डा० बब्बू सारंग जी के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा के तत्वावधान में आज दिनांक 06.08.2024 को घरेलू हिंसा, विधिक सेवाएं तथा एसिड अटैक से पीड़ितों को प्राप्त विधिक सहायता के सम्बंध में बुन्देलखण्ड इण्टर कॉलेज, डिंगवाही जिला बांदा में विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया। विधिक जागरुकता शिविर की अध्यक्षता श्रीमान श्रीपाल सिंह, अपर जिला जज / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा द्वारा की गयी।
श्री श्रीपाल सिंह, अपर जिला जज/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा द्वारा अपने सम्बोधन में कहा कि देश में पहले एसिड हमलों को लेकर कोई कानून नहीं था, पहले ऐसे मामलों में आईपीसी० की धारा 326 के तहत गम्भीर रुप से जख्मी करने का वाद दर्ज किया जाता था। एसिड हमलों को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए वर्ष 2013 में आईपीसी० में 326ए व 326बी की धारा जोड़ी गयी। धारा-326ए के अनुसार अगर कोई व्यक्ति एसिड हमले से हमला करता हैं तो दोषी पाए जाने पर 07 वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती हैं तथा साथ ही दोषी से जुर्माना भी लिया जाएगा जिसका प्रयोग पीड़ित के इलाज के खर्च में किया जाएगा। धारा-326बी के अन्तर्गत एसिड हमले की कोशिश करने वाले को 05 से 07 वर्ष तक सजा हो सकती हैं और उससे जुर्माना भी वसूला जा सकता हैं। इसके रिक्त एसिड हमलों के पीड़ितों को इलाज और सुविधाओं के लिए मा० सुप्रीम कोर्ट के निर्देश भी हैं। इसके अन्तर्गत सरकार को पीड़ित को तुरन्त तीन लाख रुपये की मदद करनी होगी, पीड़ित का निःशुल्क इलाज भी कराया जाएगा। गाइडलाइन के अनुसार कोई भी अस्पताल एसिड हमले के पीड़ित का इलाज करने से मना नही कर सकता।
श्रीमती सुमन शुक्ला-पराविधिक स्वयं सेवक, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा द्वारा कहा गया कि पारिवारिक सम्बंधों में या वैवाहिक जोड़ो के मध्य होने महिलाओं पर होने वाली घरेलू हिंसा से बचाव हेतु कार्यालय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा में कोई भी पीड़ित व्यक्ति मुकदमा करने के पूर्व प्रार्थना पत्र देकर अपने मामलों का निस्तारण मीडिएशन / लिखित रुप से समझौता के आधार पर करा सकते हैं। जिसमें किसी भी प्रकार का कोई व्यय या खर्च नहीं करना होता हैं, यह पूर्णतयाः निःशुल्क हैं। घर में अन्य प्रकार की हिंसा या दुर्व्यवहार सहन करने वाले लोगो अथवा बच्चों के साथ दुव्यवहार हिंसा होने पर भी पीड़ित द्वारा विधिक सेवा प्राधिकरण में प्रार्थना पत्र देकर हिंसा से बचाव किया जा सकता हैं। इससे न सिर्फ व्यक्ति समय व धन के खर्च से बचता हैं अपितु न्यायालयों में आने वाले मुकदमों में भी कमी आती हैं जिससे व्यक्ति लम्बी चलने वाली कानूनी प्रकिया से भी बच जाता हैं।
श्रीमती रमा साहू-प्रबन्धक, वन स्टाप सेण्टर, बांदा द्वारा अपने सम्बोधन में महिला हिंसा से बचाव हेतु जानकारी प्रदान की तथा पीड़ितों को घरेलू हिंसा से बचाव के लिए महिला हेल्प लाइन नं0-181 व 1091 के बारे में बताया। साथ ही उन्होने वन स्टाप सेण्टर द्वारा पीड़ित महिलाओं को प्राप्त अधिकारों व सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं तथा उ०प्र० मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना आदि के सम्बंध में व्यापक जानाकरी प्रदान की।
शिविर के अन्त में बुन्देलखण्ड इण्टर कॉलेज, ग्राम डिंगवाही-बांदा के प्रधानाचार्य श्री रमेश सिंह द्वारा समस्त उपस्थित अधिकारीगण, वक्ताओं एवं श्रोतागणों का आभार व्यक्त किया। शिविर में छात्र-छात्राओं के साथ श्री राशिद अहमद अन्सारी-डी.ई.ओ. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा एवं श्री लालाराम सिंह उपस्थित रहें।
जारी प्रेस विज्ञप्ति, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण-बांदा।