मां पाटेश्वरी देवीपाटन की महिमा यहां त्रेता युग से जल रही अखंड ज्योति

मां पाटेश्वरी देवीपाटन की महिमा यहां त्रेता युग से जल रही अखंड ज्योति

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बलरामपुर भारत-नेपाल सीमा के सुहेलवा वन के समीप स्थित ऐतिहासिक 51 शक्तिपीठ देवीपाटन मंदिर तुलसीपुर मे शारदीय नवरात्र रविवार से शुरू हो रही है, देवीपाटन मंदिर मे कुछ खास महत्व माना गया है। यह मंदिर बलरामपुर जनपद मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर तहसील तुलसीपुर के सूर्या, सिरिया नदी के तट पर देवीपाटन गांव मे स्थित है। यहां पर दूर-दूर देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मां पाटेश्वरी के दर्शन करते हैं। 15 अक्टूबर से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्रि पर प्रसिद्ध मंदिर देवीपाटन की तैयारी प्रशासन के द्वारा पूरी की जा चुकी है। सुरक्षा के दृष्टिगत मंदिर परिसर सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रहेगा। साफ-सफाई सुरक्षा को लेकर प्रशासन द्वारा व्यापक व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं के आवागमन को लेकर स्पेशल ट्रेन,अतिरिक्त रोडवेज और प्राइवेट बसें चलाई जाएंगी मेले में ट्रैक्टर ट्राली से श्रद्धालुओं के आवागमन को रोकने के लिए पुलिस को निर्देश दिए गए हैं। शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन 51 शक्तिपीठों में शुमार है, यहां पूरे वर्ष देश के कोने-कोने के अलावा दूसरे देशों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। मान्यता है कि यहां माता सती का वाम स्कंध पट सहित गिरा था पट सहित गिरने से यहां आदिशक्ति को माता पाटेश्वरी के नाम से जाना जाता है। माता पाटेश्वरी के नाम पर ही इस क्षेत्र का नाम देवीपाटन है,यही के नाम पर मंडल का नाम भी देवीपाटन है। यहां पूरे वर्ष देश के कोने-कोने सहित दूसरे देशों से भी श्रद्धालुओं का आवागमन होता है। प्रत्येक वर्ष चैत्र नवरात्रि में एक माह का विशाल मेला लगता है, मंदिर की ऐतिहासिकता को देखते हुए प्रदेश सरकार के द्वारा लगने वाले मेले को राजकीय मेले का दर्जा प्राप्त है।देवीपाटन मंदिर की व्यवस्था और देखरेख गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के द्वारा की जा रही है। गोरक्ष पीठाधीश्वर सीएम योगी आदित्यनाथ मंदिर की व्यवस्थाओं को लेकर स्वयं समीक्षा करते रहते हैं। देवीपाटन शक्तिपीठ का महत्व और महात्म्य देश के 51 शक्तिपीठों मे एक विश्व-विख्यात आदि शक्ति मां पाटेश्वरी देवी पाटन मंदिर में चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन से ही देश-विदेश से आए दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है। देवीपाटन मंदिर में स्थित जगदमाता पाटेश्वरी अपने अलौकिक इतिहास को समेटे हुए है। युगों-युगों से ऋषि-मुनियों के तप और वैराग्य का साक्षी रहा यह स्थल अपने अतीत की गौरव गाथा खुद बयां करता है। प्रसिद्ध मंदिर को कई पौराणिक कथाओं के साथ सिद्धपीठ होने का गौरव प्राप्त है। यहां देश-विदेश से आने वाले भक्तों का तांता 12 महीने लगा रहता है। साल में दो बार चैत्र और शारदीय नवरात्र पर यहां विशेष उत्सव के साथ मेला लगा रहता है। इस समय माता के दर्शनार्थियों और उनके आशीषाभिलासियों की विशाल भीड़ रहती है। 51 शक्तिपीठों में से एक मां सती और सीता की शक्तियों से परिपूर्ण देवीपाटन मंदिर अपने गौरवमयी इतिहास को समेटे हुए है। लोगों की श्रद्धा है कि यहां विद्यमान महाभारत के कर्ण के द्वारा स्थापित सूर्यकुंड, त्रेतायुग से जल रहा अखंड धूना और अखंड ज्योति में मां दुर्गा के शक्तियों का वास है और इतिहास गवाह है कि सिद्ध रत्ननाथ (नेपाल) और गुरु गोरखनाथ को सिद्धि भी यहीं प्राप्त हुई थी कण-कण में देवत्व का वास होने से इस मंदिर पर देश-विदेश विशेष रूप से नेपाल से लाखों श्रद्धालु मनोकामना पूर्ण करने के लिए अनुष्ठान व्रत एवं पूजन करते हैं।

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